
उत्तर प्रदेश के बहराइच में सालार गाजी की मजार पर दुआ मांगने का सिलसिला का सालों से चला रहा है लेकिन अब इसको लेकर देश में बहस बाजी शुरू हो गई है एक और जहां सपा मुखिया अखिलेश यादव का कहना है कि बीजेपी हार मिली जुली संस्कृति को खत्म करने का प्रयास कर रही है जबकि मेले में हर धर्म जाति के लोग हर संप्रदाय के लोग आपस में मिलते हैं अगर वह कुंभ मेले की तारीफ कर सकते हैं तो और कोई मिला की तारीफ क्यों नहीं कर सकते वहीं यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने साफ शब्दों में बता दिया है कि किसी भी आक्रांता को बक्सा नहीं जाएगा और उसकी महिमामंडन स्वीकार नहीं किया जाएगा। अब सवाल है कि अचानक में सालार मसूद गाजी के नाम पर विवाद क्यों छिड़ा हुआ है।
पहले भी हो चुका है मसूद गाजी पर बवाल
दोस्तों यह कोई पहला वाकया नहीं है इससे पहले भी मसूद गाजी को लेकर बवाल हो चुका है। संभल में हर साल लगने वाला उर्स मेला 18 मार्च को शुरू होता है, लेकिन इस 18 मार्च को संभल मेंले के आयोजन के लिए बने गड्ढे को बंद कर दिया गया। इसके बाद मुरादाबाद से लेकर बहराइच तक हिंदू संगठन मेला रोकने की मांग कर रहे हैं, और पुलिस का दरवाजा खटखटा रहे हैं। जिसकी वजह से पक्ष विपक्ष आमने-सामने है और इसको लेकर काफी बवाल मचा हुआ है।

यूपी सरकार ने अपने वेबसाइट पर लिखा
सहारनपुर में कांग्रेस के सांसद इमरान मसूद सैयद ने कहा की सालार गाजी एक सूफी संत थे, तो वही यूपी के बीजेपी नेता उन्हें आक्रमणकारी घोषित कर रहे हैं। पर्यटन विभाग की वेबसाइट पर बहराइच का पेज देखा गया तो उसे पर लिखा था की हजरत गाजी सालार मसूद ग्यारहवीं शताब्दी के मशहूर इस्लामी संत और सैनिक थे। आगे बताया गया कि हजरत गाजी सैयद सालार मसूद की दरगाह सिर्फ मुसलमान की नहीं बल्कि हिंदुओं की भी बहुत बड़ी आस्था है। दोस्तों खा जाता हैं कि इस दरगाह को फिरोज शाह तुगलक ने बनवाया था। माना जाता है कि जो दरगाह में जाकर पानी से नहा लेता है उसकी सभी प्रकार की बीमारी समाप्त हो जाती है। अब सैयद सालार मसूद गाजी संत थे या फिर आक्रमणकारी थे इस पर बहुत बड़ा सवाल उठ रहा है।
गाजी और महाराजा सुहेलदेव के बीच में हुआ था युद्ध
दोस्तों कहा जाता है कि 1500 साल पहले 1034 में बहराइच चितौरा झील के किनारे महाराजा सुहेलदेव ने 21 राजाओं के साथ मिलकर सालार मसूद गाजी से युद्ध किया और उसके बाद उनको जान से मार दिया था। करीब 9 साल पहले यानी 2016 में दिल्ली से गाजीपुर के बीच सुहेलदेव एक्सप्रेस की शुरुआत हुई थी। और 2018 में प्रधानमंत्री मोदी ने राजा सुहेलदेव के सम्मान में एक टिकट भी जारी किया था। देखा जाए तो बीजेपी ने महाराजा सुहेलदेव को एक नायक के तौर पर देखा है।
कौन था सालार मसूद गाजी?
सैयद सालार मसूद गाजी अफगान हमलावर महमूद गजनवी का भांजा था। मसूद गाजी ने बिना सेनापति के कई युद्ध लड़े थे जिनको गुजरात के सोमनाथ मंदिर को लूटने का भी आरोप लगाया गया है। उस समय उनकी आयु मात्र 11 साल थी। 18 साल की उम्र में यूपी के बहराइच में राजा सुहेलदेव ने उसे युद्ध में परास्त कर दिया। ऐसा कहा जाता है कि सैयद सालार गाजी की मौत के बाद ही बहराइच में मजार बनाई गई। इसके बाद से यहां मेला लगना शुरू हुआ। जहां पर आज लाखों लोग देश के कोने-कोने से यहां पर आते हैं। और मसूद गाजी की कब्र पर चादर चढ़ाते हैं।